लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी जिलों में हो रही जीएसटी विभाग की क्रमबद्ध छापेमारी पर आगामी तीन दिनों तक रोक लगा दी गई है। योगी सरकार ने अगले 72 घंटे तक के लिए जीएसटी विभाग की छापेमारी को रोकने का आदेश जारी कर दिया है। इस तरह की छापेमारी को लेकर पूरे प्रदेश भर के व्यापारियों में जबरदस्त आक्रोश था और हर जिले में व्यापारी सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। व्यापारियों ने आरोप लगाया था कि जीएसटी विभाग के अफसर उन्हें मानसिक एवं आर्थिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं।
ज्ञात हो कि पिछले एक हफ्ते से प्रदेश स्तर पर जीएसटी विभाग की छापेमारी चल रही है। इस तरह की छापेमारी से यूपी के सभी जिलों के व्यापारियों में भय का माहौल बना हुआ था जिसके चलते शादी विवाह के सीजन में अधिकतर बाजार बंद हैं। जीएसटी टीम की छापेमारी से डरे व्यापारी अपनी दुकानों को बंद किए हैं। सभी व्यापारियों में बड़ा आक्रोश व्याप्त है जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो रहा है।
यूपी में जीएसटी टीमों के छापे की खबर मिलते ही बाजारों में दुकानदार शटर बंद कर देते हैं। जीएसटी विभाग की छापेमारी को लेकर व्यापार कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष पुष्पदंत जैन ने रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भेंट की थी। मुलाकात के उपरांत गोरखपुर पहुंचे पुष्पदंत जैन ने कहा, ‘मुख्यमंत्रीजी ने कहा है कि किसी व्यापारी को कोई दिक्कत हो तो हमें बताएं. किसी व्यापारी को दिक्कत नहीं होने दी जाएगी।
व्यापार कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष पुष्पदंत जैन ने सभी व्यापारी एवं दुकानदारों से अपील करते हुए कहा था कि वह अपनी दुकानों को खोलें, दुकान बंद करके भागे नहीं और डटकर मुकाबला करें। किसी भी व्यापारी के साथ गलत नहीं होने दिया जाएगा, जिनका रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है वो जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराएं, इनकम टैक्स भरें, यह सरकार का हक है।
गोरखपुर, औरेया, फिरोजाबाद, औरेया, झांसी, महोबा, कानपुर, ललितपुर समेत लगभग सभी जिलों में जीएसटी की टीमें पिछले एक हफ्ते से गहन छापेमारी कर रही हैं। बताया जा रहा है कि हालत ये हैं कि जीएसटी टीम की रेड की अफवाह से ही पूरे मार्केट की धड़ाधड़ शटरें गिरा दी जाती हैं। बाजार में कुछ ही पलों में सन्नाटा छा जाता है।
जो दुकानें पंजीकृत नहीं हैं या फिर उन्हें कार्रवाई का भय सता रहा है, वे दुकानें बंद करके घरों में बैठे है। व्यापारी बताते हैं कि जो दुकानदार जीएसटी के दायरे में नहीं है, उन्हें भी छापेमारी के नाम पर परेशान किया जा रहा है। आरोप है कि जांच में कुछ तकनीकी खामियां निकाली जाती हैं और फिर कार्रवाई का भय दिखाया जाता है। प्रतिष्ठानों को सीज करने की धमकी दी जाती है।