बालपुर गोंडा। बरांव प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्वास्थ्य महकमें के डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मियों की भारी लापरवाही से कई महीनों से बन्द है। इससे यहां के हजारों मरीजों को अंग्रेजी दवाओं का इलाज नहीं मिल पा रहा है और अकाल पड़ा हुआ है। दर्जनों मरीज यहां रोज आते हैं और अस्पताल के अभूतपूर्व तालाबंदी का शिकार होने के चलते उन्हें बिना दवा लिए बैरंग लौटना पड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कुंभकर्णी निद्रा में सोए हुए है उन्हें परेशान क्षेत्रीय मरीजों का हाल चाल लेने तक की जिम्मेदारी का अहसास नहीं है।मरम्मत व सफाई के अभाव में परिसर में उग आई बड़ी बड़ी झाड़ियों के बीच कबाड़ हो चुके स्वास्थ्यकर्मियों के आवास भवन दर्जनों जगह टूटी चारदीवारी व टूटे मुख्य गेट के चलते बरांव प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र 13 सालों में ही कबाड़स्टेशन बनकर रह गया है। यहां की सभी स्वास्थ्य सेवाएं बदहाली का शिकार होकर रह गई है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हलधरमऊ क्षेत्र का बरांव प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र दुर्दशा का शिकार होकर रह गया है। डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मियों की उदासीनता से बरांव प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कई महीनों से अभूतपूर्व तालाबन्दी का शिकार है। शुक्रवार 15 मार्च को इस अस्पताल में पहुंचने पर कोई डॉक्टर या स्वास्थ्यकर्मी नहीं मिला एक साथ सभी नदारद रहे। यहां दवा लेने पहुंचे मरीजों ने बताया कि यह अस्पताल पिछले कई महीने से बन्द है। क्षेत्रीय मरीजों को यहां से कोई एलोपैथिक दवा नहीं मिल पा रही है। विभागीय अधिकारियों की भारी लापरवाही का खामियाजा क्षेत्रीय मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
यहां के मुख्य गेट का एक भाग टूटकर गायब हो चुका है। चारदीवारी दर्जनों स्थानों पर टूटी हुई है और इसमें बड़े बड़े छेद हो गये है। इसका हिस्सा दूसरे तरफ झुकाव लिये हुए जिससे इसके कभी भी ढहने के आसार बढ़ गये है। सफाई के अभाव में यहां बड़ी बड़ी झड़ियां उग आई है और इसमें जहरीले कीड़े मकोड़े विचरण करते रहते है। डाक्टर समेत स्वास्थ्यकर्मियों के रहने के लिए बने सरकारी आवास भवन देखरेख व मरम्मत के अभाव में कबाड़खाने में तब्दील हो चुके है।
यहां की पेयजल व्यवस्था ध्वस्त पड़ी हुई है। यहां बनी पानी की टंकी अस्पताल निर्माण के समय से ही कभी नहीं चल पाई। इसका मोटर पंप निर्माण के समय से ही खराब पड़ा हुआ है। यहां वाटर सप्लाई के लिये बिछाई गई गई पाइप लाइन सड़कर खराब हो चुकी है। यहां कोई इंडिया मार्का हैंड पंप भी नहीं है। भीषण गर्मी में यहां कार्यरत स्वास्थ्यकर्मी बूंद बूंद शुद्ध पानी के लिए तरसते हैं। स्वास्थ्यकर्मियों को पीने का पानी बाहर से लाना पड़ता है। इससे शुद्ध पानी को लेकर यहां के स्वास्थ्य कर्मियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यहां का शौचालय इस्तेमाल के लायक नहीं बहुत खराब हो चुका है। यहां विद्युत कनेक्शन न होने के चलते सब चौपट दिखाई पड़ा।
इस पीएचसी पर आवागमन के लिए रास्ता बहुत खराब है।इससे सभी को आवागमन में भारी परेशानी झेलनी पड़ती है। गत 17 जनवरी को यहां कार्यरत फार्मासिस्ट हरीराम कनौजिया की मौत हो चुकी है तभी से यह पद खाली चल रहा है। यह अस्पताल लंबे समय से डाक्टर विहीन चल रहा है। लैब सहायक नगेन्द्र प्रसाद ने बताया कि पिछले 4 महीनों से वह प्रशिक्षण पर है और उनका प्रशिक्षण 6 महीने का है। इससे अस्पताल की वर्तमान स्थिति के बारे में वह ज्यादा कुछ बता नहीं सकते हैं। कम्युनिटी हेल्थ अधिकारी दिव्या कश्यप का यहां से करनैलगंज सीएचसी के लिए तबादला हो चुका है। ग्रामीणों के मुताबिक डॉक्टर अशफाक लारी,एएनएम पार्वती, वार्ड बॉय धर्मेन्द्र तिवारी समेत 4 स्वास्थ्यकर्मी अस्पताल में तालाबंदी करके महीनों से लापता है।
बरांव पीएचसी भवन में ही यहां का राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल संचालित हो रहा है। डाक्टर के पद पर राजकुमार वर्मा व वार्डबॉय कृष्ण गोपाल श्रीवास्तव कार्यरत है। वार्डब्वाय ने बताया कि आर्युवेदिक के डॉक्टर की चुनाव प्रबन्धन में डयूटी लगी है इसके बाबजूद वह प्रतिदिन अस्पताल पहुंचते है। अभी किसी काम से कहीं गए हुए हैं। यहां के सफाई कर्मी के लापता रहने से सफाई व्यवस्था चौपट होकर रह गई है। ग्रामीणों का कहना है कि यहां का सफाई कर्मी कौन है वे उसको जानते पहचानते तक नहीं हैं। अस्पताल परिसर में बड़ी बड़ी घासें उगी हुई है और इसमें जहरीले कीड़े मकोड़े घूमते रहते है।इसके चलते यह अस्पताल भारी अव्यवस्था का शिकार है।
देखरेख व मरम्मत के अभाव में डाक्टर समेत स्वास्थ्यकर्मियों के लिए बने आधा दर्जन सरकारी आवास भवन अत्यधिक जर्जर हो चुके है। इसके चारों ओर बड़ी बड़ी झड़ियां उगी हुई है। खिड़की दरवाजे सड़कर खराब हो चुके है। इसके चलते यह भवन रहने लायक नहीं है। फर्श टूटी हुई है। इसकी कभी रंगाई पुताई तक नहीं कराई गई। 6 दिसंबर 2011 को पूर्व मुख्यमंत्री मायावती द्वारा इस अस्पताल का लोकार्पण किया गया।कार्यदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम ने इसका निर्माण कराया। विभाग में व्याप्त कमीशनखोरी व भ्रष्टाचार के चलते 13 सालों में ही यह सरकारी अस्पताल कबाड़खाना बन चुका है।
इसके सबसे बडे़ जिम्मेदार हलधरमऊ सीएचसी अधीक्षक डाक्टर सन्त प्रताप वर्मा कुंभकर्णी निद्रा में सोए हुए है। 15 मार्च को 2 बजे 2 बार कॉल करने के बावजूद उनका फोन नहीं उठा जिसके चलते उनसे संपर्क नहीं हो पाया। बरांव प्रधान रमेश कुमार ने बताया कि यहां का प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पिछले कई महीनों से बन्द है। मरम्मत व देखरेख के अभाव में इसकी चारदीवारी खण्ड खण्ड टूटकर गिरने के कगार पर पहुंच गई है। यहां बने कर्मचारी भवन अत्यधिक जर्जर होकर कबाड़ा हो गए है। यह अस्पताल अपने उद्देश्यों से भटककर भारी अव्यवस्था ग्रस्त है और पूर्णतया बदहाली का शिकार है।