गोण्डा। जिले के थाना कटरा बाजार क्षेत्र के ग्राम पहाड़ापुर में एक विवाद ने तूल पकड़ लिया है। गांव निवासी राजेंद्र कुमार शुक्ला उर्फ पप्पू शुक्ला ने ग्राम पंचायत के प्रधान प्रतिनिधि अनिल कुमार श्रीवास्तव पर गंभीर आरोप लगाते हुए पुलिस से न्याय की गुहार लगाई है। राजेंद्र कुमार ने अनिल श्रीवास्तव पर गाली-गलौज करने और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया है।
राजेंद्र कुमार शुक्ला ने थाना कटरा बाजार में दी गई तहरीर में बताया कि दिनांक 23 अप्रैल 2025 को गांव की एक महिला निवासी आयशा बानो, पत्नी मोहम्मद इसहाक, ने पंचायत से जुड़े किसी कार्य के सिलसिले में प्रधान प्रतिनिधि अनिल कुमार श्रीवास्तव को फोन किया था। बातचीत के दौरान, अनिल द्वारा न केवल आयशा बानो के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया, बल्कि फोन पर मौजूद अन्य लोगों जैसे ध्रुव त्रिवेदी पुत्र बसंतलाल त्रिवेदी, प्रवीण कुमार श्रीवास्तव पुत्र जगदीश प्रसाद श्रीवास्तव व राजेंद्र कुमार शुक्ला को भी गालियां दी गईं और धमकियां दी गई। राजेंद्र ने बताया कि पूरे वार्तालाप की 8 मिनट 14 सेकंड लंबी ऑडियो रिकॉर्डिंग उसके पास सुरक्षित है, जिसे उसने पुलिस को साक्ष्य के रूप में सौंपा है।
उनका कहना है कि रिकॉर्डिंग में साफ-साफ सुना जा सकता है कि किस प्रकार की भाषा और धमकी प्रधान पति द्वारा दी जा रही है। तहरीर और सबूत के आधार पर थाना कटरा बाजार पुलिस ने तत्काल प्रभाव से प्रधान प्रतिनिधि अनिल कुमार श्रीवास्तव, पुत्र द्वारिका प्रसाद श्रीवास्तव के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 352: अभद्र भाषा और मारपीट की आशंका से संबंधित अपराध धारा 351(2): जान से मारने की धमकी देने से संबंधित अपराध के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है। पुलिस ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच प्रारंभ कर दी गई है, और आवश्यकतानुसार आरोपी से पूछताछ भी की जाएगी।यह घटना पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गई है। ग्रामवासियों और क्षेत्रीय लोगों के बीच न्याय व्यवस्था और प्रशासन की पारदर्शिता को लेकर उम्मीदें जगी हैं। कई ग्रामीणों ने कहा कि यदि कोई जनप्रतिनिधि इस प्रकार से भाषा का प्रयोग करता है, तो यह लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
लोगों ने पुलिस प्रशासन से निष्पक्ष, त्वरित और कड़ी कार्रवाई की मांग की है ताकि ऐसे तत्वों को सबक मिल सके और पंचायत में भयमुक्त वातावरण बना रहे। जनप्रतिनिधियों से जनता को शालीनता, सहयोग और सेवा की अपेक्षा होती है। यदि वही लोग अपनी सत्ता का दुरुपयोग कर आम नागरिकों को डराने-धमकाने लगें, तो यह लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है। अब देखना यह है कि इस मामले में पुलिस क्या निष्कर्ष निकालती है और क्या पीड़ितों को न्याय मिल पाता है।