Home Animal हलधरमऊ ब्लाक की पशु चिकित्सा बदहाली का शिकार डॉक्टर विहीन अस्पताल

हलधरमऊ ब्लाक की पशु चिकित्सा बदहाली का शिकार डॉक्टर विहीन अस्पताल

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बालपुर गोंडा। हलधरमऊ विकास क्षेत्र के सभी पशु अस्पताल डॉक्टर विहीन होने से बीमार पशुओं के इलाज में क्षेत्र के पशुपालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यहां दो अस्पताल व चार पशु सेवा केन्द्र हैं इनमें से दो पशु सेवा केन्द्र पशु चिकित्सा कर्मियों की भारी कमी चलते करीब पांच सालों से बन्द है। इससे यहां के पशु पालकों की समस्याओं का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। इससे यहां की पशु चिकित्सा सेवा बदहाली का शिकार होकर रह गई है।

हलधरमऊ ब्लाक के पशु अस्पताल पर कार्यरत पशु चिकित्सक डाक्टर अच्छे लाल वर्मा दिसंबर माह में प्रोन्नत पाकर सिद्धार्थनगर जिले के शोहरतगढ तबादले पर चले गए। इससे हलधरमऊ विकास क्षेत्र पशु चिकित्सक विहीन हो गया और यहां की पशु चिकित्सा सेवा वेंटिलेटर पर आ गई। इस क्षेत्र में हलधरमऊ ब्लाक व पशु चिकित्सालय बालपुर समेत दो पशु अस्पताल है। बरांव, नहवा परसौरा, मैजापुर भुलभुलिया समेत चार पशु चिकित्सा केन्द्र है।

इनमें से विभाग में कर्मचारियों की कमी के चलते मैजापुर व नहवा परसौरा करीब पांच सालों तालाबन्दी का शिकार है। इनके भवन भी जर्जर हो गए है और आसपास झाड़ियों के उग आने से जहरीले कीड़े मकोड़े भटकते रहते है। भभुआ में कार्यरत डॉक्टर अनिल कुमार कटियार को करनैलगंज व ब्लाक स्तरीय अस्पताल हलधरमऊ का कार्यभार सौंपा गया है। पशुधन प्रसार अधिकारी क्षिप्रा सिंह व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी बृजनाथ पाण्डेय समेत दो पशु चिकित्साकर्मी कार्यरत है।
बालपुर पशु अस्पताल का भवन एक दुर्घटना के चलते करीब सालभर से क्षतिग्रस्त होकर खस्ताहाल हो गया है। यहां फार्मासिस्ट पंकज चौधरी व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी इसरार अहमद समेत दो लोग पिछले कई सालों से कार्यरत है। यह अस्पताल करीब एक दशक से डॉक्टर विहीन चल रहा है। जबकि यहां हलधरमऊ, परसपुर, कटरा बाजार, झंझरी समेत चार विकास क्षेत्रों के पशु पालक अपने बीमार पशुओं का इलाज कराने आते है।

हलधरमऊ ब्लाक स्तरीय अस्पताल के डॉक्टर अनिल कुमार कटियार का कहना है कि विभाग में डॉक्टरों की भारी कमी है जिसके चलते सभी अस्पतालों को डॉक्टर नहीं मिल पा रहे हैं। जिले में तीन दर्जन से अधिक पशु अस्पताल हैं। इसके सापेक्ष करीब दो दर्जन डाक्टर ही जिले में तैनात हैं। इससे जिले की पशु चिकित्सा सेवा काफी हद तक प्रभावित होकर रह गई है।

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