गोण्डा। 08 फरवरी। भविष्य भूमि आश्रम में शैलेन्द्र शून्यम् के संयोजन में स्व. विश्वनाथ सिंह ‘विकल गोण्डवी’ का जन्म शताब्दी समारोह मनाया गया। इस अवसर पर उनके जीवन और कृतित्व पर कवि-लेखकों द्वारा परिचर्चा की गई। शैलेन्द्र शून्यम ने विषय-प्रवर्तन करते हुए बताया कि विकल गोण्डवी की ‘रत्ना तुलसी’ और ‘धरती कै धिया’ दो रचनाएँ प्रकाशित हैं।
अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. सूर्यपाल सिंह ने कहा कि ‘क्लर्की हमरे माथे परी’ शीर्षक कविता विकल जी से मैंने पहली बार सुनी थी। विश्वनाथ सिंह की कविता का प्रवाह अवधी कविता की शक्ति की परिचायक है। उन्होंने लोकभाषा अवधी के विलुप्त होते जाते शब्दों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने विकल जी पर शोध करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कार्यक्रम के संयोजक शैलेन्द्र शून्यम और सह संयोजक राजेश मोकलपुरी को विकल जी के जन्मशताब्दी समारोह मनाए जाने हेतु धन्यवाद दिया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अवधी सेवी राम बहादुर मिसिर ने कहा कि अवधी के लक्षित-अलक्षित रचनाकारों, लोक साहित्य सहित कई विषयों पर ‘अवध ज्योति’ पत्रिका के अंक निकलते रहे हैं। उन्होंने विकल गोण्डवी की रचनाधर्मिता का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने कम लिखकर भी पाठकों में अपनी लोकप्रियता बनाई हैं।
साहित्य भूषण शिवाकांत मिश्र ‘विद्रोही’ ने विकल जी को स्मरण करते हुए कविता के द्वारा भावांजलि प्रस्तुत की।
गोण्डा जनपद के इतिहास लेखक श्री नारायण तिवारी ने विकल गोण्डवी के जीवन के बारे में बताया कि उनका जन्म छपिया के पास खजुरी गाँव में हुआ था। उन्होंने कहा कि विकल जी आगे भी लगातार प्रासंगिक बने रहेंगे।
इस अवसर पर अवधेश सिंह ने ‘चले ससुराल विकल मन तुलसी’ गीत सुनाकर खूब आनंदित किया। सुरेन्द्र सिंह ‘झंझट’ ने विकल जी का संस्मरण सुनाते हुए उनकी रचनाएँ सुनाई। घनश्याम अवस्थी ने ‘जब सड़क पर दुपहिया चलावा करौ, मूड ख़बहा है हेलमेट लगावा करौ’ सुनाकर महत्त्वपूर्ण संदेश दिया। राजेश मोकलपुरी ने कुछ अवधी दोहे सुनाकर रससिक्त कर दिया। पुष्कर बाबू ने विकल जी का छंद ‘दिनमान का दीप देखाइब है’ सुनाकर सराहना प्राप्त की।
हरिराम शुक्ल प्रजागर ने ‘भूल गई है महिमा अपनी, सुख दुख में उलझी नरता’ सुनाकर तालियाँ बटोरी। अंत में कार्यक्रम के संयोजक शैलेन्द्र शून्यम ने धन्यवाद व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन विनय शुक्ल ‘अक्षत’ ने किया।
इस अवसर पर डॉ. संतोष द्विवेदी, घनश्याम पाण्डेय, प्रो. संजय पाण्डेय, प्रो. जय शंकर तिवारी, डॉ. विष्णु शंकर तिवारी, लक्ष्मीनाथ पाण्डेय, कृपाराम पाण्डेय, जमुना प्रसाद, संतोष सिंह, गणेश नाथ मिश्र, ओंकार नाथ शुक्ल, अभय दुबे, दीप्ति गुप्ता, वागर्थ, शिव बालक उपस्थित रहे।