अयोध्या। भव्य राम मंदिर में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की तैयारियां अंतिम दौर में है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने गुरूवार को निर्माणाधीन राम मंदिर की नई तस्वीरें जारी की हैं। यह तस्वीरें श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के भव्य सिंहद्वार की हैं। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के अनुसार, मंदिर का भूतल तैयार हो गया है।
अयोध्या में बन रहा तीन मंजिला राम मंदिर पारंपरिक नागर शैली में बनाया गया है। मुख्य गर्भगृह में श्रीराम लला की मूर्ति है और पहली मंजिल पर श्री राम दरबार होगा। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार, राम मंदिर में 5 मंडप होंगे। इसमें नृत्य मंडप, रंग मंडप, सभा मंडप, प्रार्थना और कीर्तन मंडप होंगे। देवी-देवताओं की मूर्तियां मंदिर के स्तंभों और दीवारों को सुशोभित करती हैं। 32 सीढ़ियां चढ़कर श्रद्धालु सिंहद्वार से प्रवेश कर सकेंगे। मंदिर के चारों तरफ आयताकार परकोटा रहेगा। मंदिर में दिव्यांग और बुजुर्ग तीर्थयात्रियों के लिए विशेष सुविधाएं हैं। मंदिर ट्रस्ट का कहना है कि मंदिर के पास एक ऐतिहासिक कुआं (सीता कूप) है, जो प्राचीन काल का है। इसके अलावा, 25,000 लोगों की क्षमता वाला एक तीर्थयात्री सुविधा केंद्र का निर्माण किया जा रहा है। यह तीर्थयात्रियों के लिए चिकित्सा सुविधाएं और लॉकर सुविधा प्रदान करेगा।
राम मंदिर परिसर के भीतर सिर्फ भगवान रामलला ही नहीं, बल्कि और भी कई देवी देवताओं के मंदिर होंगे। इसमें सूर्य भगवान, भगवती, गणपति और शिव के मंदिर तो होंगे ही। साथ में अन्नपूर्णा और हनुमानजी का भी एक मंदिर होगा। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मुताबिक दुनिया भर से आने वाले राम भक्तों के लिए परिसर के भीतर अन्य देवी देवताओं के भी दर्शन की व्यवस्था मंदिर में की गई है। जानकारी के मुताबिक श्री राम मंदिर परिसर में राम लला के विग्रह के साथ कई अन्य मंदिर भी तैयार किए गए हैं। राम मंदिर परिसर के परकोटा के चारों कोनों पर चार मंदिरों का निर्माण हो रहा है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मुताबिक मंदिर के चारों कोनों पर भगवान सूर्य देव, मां भगवती, गणपति और भगवान शिव के मंदिर होंगे। इसके अलावा मंदिर परिसर के दक्षिण में हनुमानजी का और उत्तर में मां अन्नपूर्णा का भव्य मंदिर भी तैयार हो रहा है।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार मंदिर में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को रामलाल के साथ अलग-अलग मंदिरों में भी जाने का मौका मिलेगा। मंदिर परिसर में इन देवी देवताओं के मंदिरों के अलावा कुछ अन्य ऋषि मुनियों के भी मंदिर तैयार किए जा रहे हैं। मंदिर परिसर में प्रस्तावित इन मंदिरों में महर्षि वाल्मीकि, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि अगस्त्य, निषाद राज और माता शबरी समेत देवी अहिल्या को समर्पित करते हुए भी स्थान होगा। जानकारी के मुताबिक मंदिर परिसर के भीतर राम भगवान से संबंधित उन सभी देवी देवताओं ऋषि मुनियों और महापुरुषों को स्थान दिया जा रहा है, जो संपूर्ण रामराज्य को उभारेंगे।
राम मंदिर परिसर में इन मंदिरों के अलावा पुराने समय के कुछ अन्य पौराणिक मंदिर भी मौजूद रहेंगे। इसमें मंदिर के पास में पौराणिक काल का सीताकूप भी मौजूद रहेगा। इसके अलावा मंदिर परिसर के दक्षिणी पश्चिमी हिस्से में नवरत्न कुबेर टीले पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार भी किया गया है। यह वही प्राचीन शिव मंदिर है, जहां पर जटायु की प्रतिमा स्थापित की गई है। ट्रस्ट से जुड़े पदाधिकारी का कहना है कि कुबेर टीले के प्राचीन मंदिर का भी अपना एक इतिहास है। यही वजह है कि इस मंदिर की भव्यता दिव्यता और पवित्रता के साथ यहां पर जटायु प्रतिमा को स्थापित किया गया है।