बालपुर गोंडा। बरांव प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कई सालों से डॉक्टर व फार्मासिस्ट विहीन चल रहा है। एक मात्र लैब सहायक के सहारे यह अस्पताल संचालित किया जा रहा है। इस तरह यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बदहाली का शिकार होकर रह गया है। मरम्मत व सफाई के अभाव में अस्पताल परिसर में बड़ी बड़ी झाड़ियां उग आई है। इसमें जहरीले कीड़े मकोड़े घूमते रहते हैं। यहां कबाड़ हो चुके स्वास्थ्यकर्मियों के आवास भवन दर्जनों जगह टूटी चारदीवारी व टूटे मुख्य गेट के चलते बरांव प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र 14 सालों में ही कबाड़खाने में तब्दील हो गया है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हलधरमऊ क्षेत्र का बरांव प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र दुर्दशा का शिकार होकर रह गया है। यहां के मुख्य गेट का एक भाग टूटकर गायब हो चुका है। चारदीवारी दर्जनों स्थानों पर टूटी हुई है और इसमें बड़े बड़े छेद हो गये है। इसका एक हिस्सा दूसरे तरफ झुकाव लिये हुए जिससे इसके कभी भी ढहने के आसार बढ़ गये है। सफाई के अभाव में यहां बड़ी बड़ी झड़ियां उग आई है और इसमें जहरीले कीड़े मकोड़े विचरण करते रहते है। डाक्टर व फार्मासिस्ट समेत स्वास्थ्यकर्मियों के रहने के लिए बने सरकारी आवास भवन देखरेख व मरम्मत के अभाव में कबाड़खाने में तब्दील हो चुके है।
यहां की पेयजल व्यवस्था ध्वस्त पड़ी हुई है। यहां बनी पानी की टंकी अस्पताल निर्माण के समय से ही कभी नहीं चल पाई। इसका मोटर पंप निर्माण के समय से ही खराब पड़ा हुआ है। यहां वाटर सप्लाई के लिये बिछाई गई गई पाइप लाइन सड़कर खराब हो चुकी है। यहां कोई इंडिया मार्का हैंड पंप भी नहीं है। शुद्ध पानी को लेकर यहां के स्वास्थ्य कर्मियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यहां का शौचालय इस्तेमाल के लायक नहीं है और गन्दगी की भरमार है। यहां विद्युत कनेक्शन न होने के चलते सब चौपट दिखाई पड़ा।
इस पीएचसी पर आवागमन के लिए रास्ता बहुत खराब है।इससे सभी को आवागमन में भारी परेशानी झेलनी पड़ती है। यह अस्पताल लंबे समय से डाक्टर व फार्मासिस्ट विहीन चल रहा है। कम्युनिटी हेल्थ अधिकारी दिव्या कश्यप का यहां से करनैलगंज सीएचसी के लिए तबादला हो चुका है। यहां कार्यरत स्टाफ नर्स अनीता सिंह का हड़ियागाड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को तबादला किया जा चुका है। ग्रामीणों के मुताबिक डॉक्टर अशफाक लारी,एएनएम नेहा गुप्ता, वार्ड बॉय धर्मेन्द्र तिवारी समेत 4 स्वास्थ्यकर्मी यहां कार्यरत हैं। सोमवार को लैब सहायक नागेंद्र प्रसाद यहां मौजूद मिले अन्य तीन स्वास्थ्यकर्मी नदारद रहे। इनमें डॉक्टर अशफाक लारी पिछले कई सालों से गंभीर रूप से बीमार चल रहे हैं इसलिए अस्पताल नहीं आ पा रहे हैं।
बरांव पीएचसी भवन में ही यहां का राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल संचालित हो रहा है। डाक्टर के पद पर राजकुमार वर्मा व वार्डबॉय कृष्ण गोपाल श्रीवास्तव कार्यरत है। यह सभी ड्यूटीरत मिले। यहां के सफाई कर्मी के लापता रहने से सफाई व्यवस्था चौपट होकर रह गई है। ग्रामीणों का कहना है कि यहां का सफाई कर्मी कौन है वे उसको जानते पहचानते तक नहीं हैं। अस्पताल परिसर में बड़ी बड़ी घासें उगी हुई है और इसमें जहरीले कीड़े मकोड़े घूमते रहते है।इसके चलते यह अस्पताल भारी अव्यवस्था का शिकार है।
देखरेख व मरम्मत के अभाव में डाक्टर व फार्मासिस्ट समेत स्वास्थ्यकर्मियों के लिए बने आधा दर्जन सरकारी आवास भवन अत्यधिक जर्जर हो चुके है। इसके चारों ओर बड़ी बड़ी झड़ियां उगी हुई है। खिड़की दरवाजे सड़कर खराब हो चुके है। इसके चलते यह भवन रहने लायक नहीं है। फर्श टूटी हुई है। इसकी कभी रंगाई पुताई तक नहीं कराई गई। 6 दिसंबर 2011 को पूर्व मुख्यमंत्री मायावती द्वारा इस अस्पताल का लोकार्पण किया गया।कार्यदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम ने इसका निर्माण कराया। विभाग में व्याप्त कमीशनखोरी व भ्रष्टाचार के चलते 13 सालों में ही यह सरकारी अस्पताल कबाड़खाना बन चुका है।
इसके सबसे बडे़ जिम्मेदार हलधरमऊ सीएचसी अधीक्षक डाक्टर सन्त प्रताप वर्मा ने बताया कि वह एक जरूरी मीटिंग में व्यस्त हैं। मरम्मत व देखरेख के अभाव में इसकी चारदीवारी खण्ड खण्ड टूटकर गिरने के कगार पर पहुंच गई है। यहां बने कर्मचारी भवन अत्यधिक जर्जर होकर कबाड़ा हो गए है। यह अस्पताल अपने उद्देश्यों से भटककर भारी अव्यवस्था ग्रस्त है।