लखनऊ।14 मार्च। रोडवेज बसों के बाद अब उत्तर प्रदेश की महिलाएं आम पब्लिक ट्रांसपोर्ट की भी ड्राइविंग सीट पर नजर आने वाली हैं। प्रदेश की महिलाओं को सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन के साथ-साथ आत्मनिर्भर बनाने के मिशन में जुटी योगी सरकार मिशन शक्ति के तहत महिलाओं को स्वरोजगार उन्मुख ई रिक्शा प्रशिक्षण कार्यक्रम से जोड़ रही है। इसके माध्यम से सरकार न सिर्फ महिलाओं को निशुल्क ई रिक्शा प्रशिक्षण दिला रही है, बल्कि ड्राइविंग लाइसेंस के साथ ही सस्ती ब्याज दरों पर ई रिक्शा दिलाने का भी प्रबंध कर रही है। यही नहीं, ई रिक्शा पर 50 हजार रुपए तक की सब्सिडी भी प्रदान की जा रही है। प्रत्येक जनपद से 250 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। सरकार की इस पहल से अब प्रदेश भर में सड़क पर प्रशिक्षित महिला ड्राइवर्स उच्च गुणवत्ता वाले ई रिक्शा चलाती नजर आएंगी। इससे उनकी आय का प्रबंध भी होगा और रोड एक्सीडेंट जैसी घटनाओं पर भी अंकुश लगेगा।
करीब 20 हजार महिलाओं को दिया जा रहा प्रशिक्षण
यूपीकॉन के एमडी प्रवीण सिंह ने बताया कि मिशन शक्ति योजना के अंतर्गत ई रिक्शा प्रशिक्षण कार्यक्रम एमएसएमई विभाग द्वारा संचालित एवं यूपीकॉन द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है। इसके अंतर्गत प्रत्येक जनपद से एक हजार महिलाओं को प्रशिक्षित किए जाने का लक्ष्य है। मिशन शक्ति के तहत दो पार्ट में ट्रेनिंग आयोजित की गई है। पहले चरण में 56200 महिलाओं (प्रति जनपद 750) को 6 दिन का प्रशिक्षण दिया गया था। इसमें तीन दिन महिलाओं के वर्क प्लेस से संबंधी सेफ्टी, सिक्योरिटी, और सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दी गई थी। इसके बाद तीन दिन उनको उद्यमिता विकास की ट्रेनिंग कराई गई थी। फेज 2 में 250 महिलाएं प्रति जनपद के हिसाब से 18750 महिलाओं को ई रिक्शा ट्रेनिंग दी जा रही है। ड्राइविंग डोमेन में स्वरोजगार उन्मुख प्रशिक्षण की अवधि 6 माह की है। प्रशिक्षण के लिए महिलाओं का चयन मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना की गाइडलाइंस के तहत किया जा रहा है। इसमें 10वीं पास 18 से 40 वर्ष की महिलाएं पात्र हैं। साथ ही उनके पास आधार और पैन कार्ड होना अनिवार्य है।
महिलाओं को दी जा रही पिंक ड्रेस एवं सेफ्टी किट
उन्होंने बताया कि यह एक लाइवलीहुड प्रोग्राम है। इसके तहत हमने 250 महिलाएं प्रति जनपद का लक्ष्य निर्धारित किया है। मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत 250 महिलाओं का चयन करेंगे और फिर उनको ई रिक्शा स्वरोजगार उन्मुख करेंगे। चयन के बाद महिलाओं को ट्रेनिंग दी जा रही है। इसमें क्लास रूम ट्रेनिंग भी है जिसमें उन्हें ई रिक्शा और ड्राइविंग रूल्स के विषय में बताया जा रहा है। इसके बाद उनको प्रैक्टिकली ई रिक्शा चलाना सिखाया जा रहा है। महिलाओं को ई रिक्शा की पिंक ड्रेस भी दे रहे हैं एवं सेफ्टी किट और स्टेशनरी किट भी प्रदान की जा रही है। इसके बाद महिलाओं को आरटीओ के सहयोग से ड्राइविंग लाइसेंस भी दिलाने में मदद की जा रही है। फाइनली उनको बैंक तक ले जाने का प्रॉसेस भी हम करा रहे हैं। इसमें सुनिश्चित किया जा रहा है कि मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना का जो लाभ है वो महिलाओं को मिल सके, जिसमें बैंक से आसान लोन भी शामिल है।
स्वरोजगार शुरू कराने में भी की जा रही मदद
प्रवीण सिंह ने बताया कि योजना के तहत ई रिक्शा की स्टैंडर्ड कॉस्ट 1.98 लाख रुपए निर्धारित की गई है। हमने जेम पोर्टल के माध्यम से ई रिक्शा कंपनीज का चयन किया है। ये कंपनियां लिथियम आयन बैटरी वाले ई रिक्शा बनाती हैं जो सबसे उच्चतम क्वालिटी के होते हैं। 1.98 हजार में योजना के अंतर्गत योग्य पाई जाने वाली महिलाओं को मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत 49 हजार 500 रुपए की सब्सिडी मिलेगी। बाकी जो पैसा है उसको नेशनलाइज बैंक से फाइनेंस कराने का प्रयास किया जाएगा। हमारा प्रयास महिलाओं को बैंक तक ले जाना और उनका फाइनेंस कराना है, ताकि उनका स्वरोजगार शुरू हो सके। उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम नवंबर 2023 से शुरू हुआ है। अभी बैचवार यह कार्यक्रम चल रहा है, जिसमें एक बैच में प्रति जनपद 250 महिलाओं का प्रशिक्षण चल रहा है। जिन जनपदों में पोटेंशियल ज्यादा है, वहां संख्या ज्यादा भी की जा सकती है।
योजना से महिलाओं का हो रहा सशक्तिकरण
इस परियोजना का उद्देश्य चयनित महिला उम्मीदवारों को उपयुक्त कौशल और महिला सुरक्षा, सुरक्षा उपायों और समाज में सपोर्टेड प्लेटफॉर्म्स के बारे में ज्ञान के साथ सशक्त बनाना है। साथ ही उन्हें सुरक्षित रूप से यात्रा करने में मदद करके समाज की अन्य महिलाओं की मदद करने के लिए सशक्त बनाना और उन्हें अन्य महिलाओं के लिए एक आदर्श मॉडल बनने में सक्षम बनाना है। यही नहीं समाज की समस्त महिलाओं को सुरक्षित वातावरण बनाने और एक उद्यमी बनने का प्रयास करने के लिए कार्यक्रमों का हिस्सा बनना भी शामिल है।