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डीएम ने भ्रष्टाचार व पद के दुरुपयोग चलते दो राजस्व निरीक्षकों व तीन लेखपालों पर गिराई गाज

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गोण्डा।जनपद में भ्रष्टाचार में लिप्त और पद का दुरुपयोग करने वाले सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ बड़ी कार्यवाही की गई है। जिलाधिकारी नेहा शर्मा के आदेश पर मंगलवार को एक लेखपाल को निलंबित कर दिया गया है। खतौनी में वरासत दर्ज करने के लिए पैसे लेने के आरोपों के चलते यह कार्यवाही की गई है। वहीं, वरासत संबंधी दो अन्य मामलों में पद का दुरुपयोग करने, लापरवाही बरतने के चलते दो लेखपालों और दो राजस्व निरीक्षकों के खिलाफ प्रतिकूल प्रविष्टि जारी की गई है।

जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने साफ किया है कि माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को जनपद में प्रभावी रूप से लागू करने के लिए जिला प्रशासन गोण्डा प्रतिबद्ध है। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही स्वीकार्य नहीं की जाएगी।

*डीएम को ऑडियो रिकॉर्डिंग भेजकर की गई शिकायत*

ग्राम पंचायत रायपुर ब्रह्मचारी, तहसील सदर के निवासी विजय पाण्डेय ने स्थानीय लेखपाल दिनेश सरोज पर वरासत दर्ज करने के लिए पैसे लेने के आरोप लगाए थे। विजय के मुताबिक, उनके पिता सत्य नारायण पाण्डेय की मृत्यु के बाद खतौनी में वरासत के लिए आवेदन किया था। इसके लिए लेखपाल दिनेश सरोज ने 1000 रुपये लिए थे। पैसे लेने के 6 महीने बाद भी वरासत दर्ज नहीं की गई। विजय पाण्डेय ने मंगलवार को लेखपाल के साथ हुई बातचीत के ऑडियो के साथ शिकायत दर्ज कराई। जिलाधिकारी द्वारा प्रारंभिक जांच कराकर निलंबन की कार्यवाही के आदेश जारी कर दिए गए हैं।

*वरासत दर्ज करने में की गई लापरवाही*

ग्राम चिड़िहवा, मौजा खीरभारी के निवासी कुंवर चन्द्र की शिकायत पर कार्यवाही करते हुए जिलाधिकारी ने लेखपाल हितेश कुमार और राजस्व निरीक्षक रमाराम शुक्ला के खिलाफ प्रतिकूल प्रविष्टि जारी करने के आदेश दिए हैं। संबंधी शिकायत पर की गई जांच में सामने आया कि ग्राम खीरभारी की खतौनी सन् 1427-1432 फ. के खाता संख्या 00259 पर मूल खातेदार के कॉलम में शोभाराम पुत्र रामसुन्दर का नाम दर्ज है। हालांकि आदेश के कॉलम में कोई अंकन नहीं था, किन्तु खातेदार द्वारा भूमि का विक्रय पूर्व में किया जा चुका था, जिसमें वरासत का आदेश भी पारित हो चुका था। इसके अनुपालन के संबंध में चकबंदी न्यायालय में वाद विचाराधीन है। यह तथ्य क्षेत्रीय लेखपाल एवं राजस्व निरीक्षक के संज्ञान में अवश्य आया होगा, किन्तु उनके द्वारा इसका संज्ञान नहीं लिया गया और न ही इसके संबंध में कोई जांच की गई। राजस्व संहिता में प्राविधानित है कि वरासत के पूर्व विधिवत जांच भूमि प्रबंधक समिति की बैठक में करने के उपरांत वरासत की कार्यवाही की जानी चाहिए। इस प्रकरण में नियमों का उल्लंघन करते हुए केवल खतौनी के अंकन के आधार पर ही वरासत की कार्यवाही की गई है।

*फर्जी तरीके से दर्ज कराई गई थी वरासत*
फर्जी तरीके से वरासत दर्ज करने के एक अन्य प्रकरण में एक लेखपाल और एक राजस्व निरीक्षक के खिलाफ कार्यवाही की गई है। मनकापुर के सिसईरानीपुर के निवासी रामसूरत वर्मा ने इसके संबंध में सम्पूर्ण समाधान दिवस पर शिकायत दर्ज कराई थी। उनकी शिकायत पर वर्तमान राजस्व निरीक्षक एवं लेखपाल को जांच के आदेश दिए गए थे। जांच रिपोर्ट में शिकायतकर्ता रामसूरत वर्मा की बैनामा शुदा भूमि की दिनांक 07 जून 2022 को तत्कालीन लेखपाल एवं राजस्व निरीक्षक द्वारा अनियमित एवं त्रुटिपूर्ण वरासत आदेश पारित किए जाने की पुष्टि हुई है। इस प्रकरण में क्षेत्रीय लेखपाल एवं राजस्व निरीक्षक द्वारा बिना खतौनी का मिलान किए ही वरासत आदेश पारित किया गया है। इस लापरवाही के चलते दोनों के खिलाफ प्रतिकूल प्रविष्टि जारी करने के आदेश दिए गए हैं।

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