गोण्डा। जनपदवासियों को निवास प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र से लेकर वरासत जैसे प्रकरणों में दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने गुरुवार को सिटीजन चार्टर जारी किया है। शासन के आदेशों के अनुरूप जनसेवाओं से जुड़े हुए प्रकरणों के निस्तारण की समयसीमा निर्धारित कर दी गई है। सभी अधिकारियों को निर्धारित समयसीमा के भीतर प्रकरणों का निस्तारण करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि हर महीने के अंत में समीक्षा की जाएगी। इसका अनुपालन न किए जाने की स्थिति में संबंधित की जिम्मेदारी तय करते हुए कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।
जिलाधिकारी ने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया है कि निवास प्रमाणपत्र आवेदन पत्रों का निस्तारण 20 दिवस में अनिवार्यतः सुनिश्चित कराया जाए। इसी प्रकार, जाति प्रमाणपत्र के लिए प्राप्त आवेदनपत्रों का निस्तारण नियत समय (20 दिवस) में अवश्य कराया जाए। आय प्रमाणपत्र आवेदनपत्रों को नियत समय (सामान्य आवेदन 15 दिन, शिक्षण संस्थान में प्रवेश हेतु-07 दिवस) में अवश्य निस्तारित कराया जाए। इनकी समीक्षा उप जिलाधिकारी एवं तहसीलदार के स्तर से नियमित रूप से की जानी चाहिए। हैसियत (साल्वेंसी) सम्बन्धी कोई आवेदनपत्र 45 दिन से ऊपर निस्तारण के लिए लम्बित न रहे।
*राजस्व वादों के निस्तारण के लिए विशेष अभियान*
जिलाधिकारी ने आरसीएमएस पोर्टल पर पंजीकृत वादों में 02 वर्ष से अधिक समय से लम्बित वादों का अधिक से अधिक निस्तारण कराने के निर्देश दिए हैं। 01-03 वर्ष की अवधि के 6153 वाद, 03-05 वर्ष की अवधि के 1839 तथा 05 वर्ष से अधिक अवधि के 1513 वाद जनपद के राजस्व न्यायालयों में विचाराधीन है। जिलाधिकारी ने इन वादों का निस्तारण गुणदोष के आधार पर अभियान के रूप में करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने साफ किया है कि धारा-80 राजस्व संहिता के अन्तर्गत योजित वादों का निस्तारण नियत समय में किया जाए तथा कोई भी वाद 45 दिन से ऊपर लम्बित न रहे। सम्प्रति धारा-80 के वादों के निस्तारण की स्थिति संतोषजनक परिलक्षित होती है।
इसके अतिरिक्त, धारा-116 के अन्तर्गत लम्बित वादों का निस्तारण प्राथमिकता के आधार पर किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। जिलाधिकारी ने बताया कि पीठासीन अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि उनके न्यायालय में धारा-116 से अन्तर्गत कोई वाद 03 माह से ऊपर लम्बित न रहे। वरासत से सम्बन्धित प्राप्त आवेदनपत्रों का निस्तारण कराते हुए सुनिश्चित किया जाए कि माह के अन्त में पेंडेन्सी ’शून्य’ रहे। धारा-34 राजस्व संहिता के अन्तर्गत योजित वादों का निस्तारण नियत समयसीमा 45 दिवस में सुनिश्चित कराया जाए। धारा-24 राजस्व संहिता के वादों को सूचीबद्ध कराते हुए यह देखें कि 03 माह से ऊपर अवधि का कोई वाद लम्बित न रहे। ऐसे वादों में दिन प्रतिदिन के आधार पर सुनवाई करते हुए निस्तारण सुनिश्चित किया जाए।
*यह निर्देश भी किए गए हैं जारी*
– कृषि, आवास स्थल, मत्स्य पालन, कुम्हारीकला मदों में लक्ष्य के सापेक्ष पात्र लाभार्थियों को पट्टा स्वीकृत करते हुए पोर्टल पर फीडिंग करायी जाए।
– जनपद मुख्यालय के भूलेख अनुभाग द्वारा मॉनिटरिंग करते हुए यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी तहसील में ई-परवाना जारी करने हेतु अवशेष न रहे।
– आई.जी.आर.एस. संदर्भों के निस्तारण की समीक्षा करते हुए यह विशेष रूप से ध्यान में रखा जाए कि ’ग्रेड-सी’ में कोई संदर्भ चिन्हित न रहे तथा समस्त प्राप्त संदर्भो का निस्तारण नियत समय में अनिवार्य रूप सुनिश्चित कराया जाए।
– मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से आर्थिक सहायता के प्रकरणों में आख्या का प्रेषण समय से सुनिश्चित कराया जाए। माह के अन्त में कोई भी आवेदन आख्या प्रेषण हेतु लम्बित नहीं रहना चाहिए।
– मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना में आवेदनपत्रों का निस्तारण निर्धारित समयसीमा में अनिवार्य रूप से हो आवेदनपत्रों की स्वीकृति के उपरान्त धनराशि की डिमाण्ड तत्काल भेजी जाए, ताकि प्रभावित परिवारों को अनुमन्य सहायता राशि शीघ्रातिशीघ्र प्राप्त हो सके।
– दैवी आपदा के प्रकरणों में अनुमन्य राहत का वितरण नियत समय में अवश्य हो। इस कार्य में विलम्ब होने पर उत्तरदायित्व का निर्धारण किया जाए।
– एण्टी भू-माफिया से सम्बन्धित प्राप्त शिकायती पत्रों का निस्तारण समयबद्ध रूप से करते हुए कार्यवाही का विवरण पोर्टल पर फीड कराया जाए।