गोंडा। जिले में निराश्रित गोवंशों के संरक्षण को लेकर जिलाधिकारी नेहा शर्मा की सख्ती के बाद प्रशासन सक्रिय हो गया है। बीते तीन महीनों में कुल 2355 निराश्रित गोवंशों का संरक्षण सुनिश्चित किया गया है। अगस्त में 621, सितंबर में 835 और अक्टूबर में 502 गोवंशों का संरक्षण किया गया। 1 नवम्बर से 19 नवम्बर तक 397 निराश्रित गोवंशों को निकट की गोशालाओं में संरक्षित किया गया है। सिर्फ यही नहीं, जिलाधिकारी नेहा शर्मा की पहल के बाद जिले में गोवंश संरक्षण के अभियान में जबरदस्त सफलता मिली है। उन्होंने जनपद के शस्त्र धारकों से गोवंशों का संरक्षण करने की अपील की थी, जिसका सकारात्मक परिणाम सामने आया है। अब तक शस्त्र धारकों ने 2000 से अधिक निराश्रित गोवंशों को गोद लिया है और उन्हें सुरक्षित गोशालाओं में संरक्षित किया है।
लापरवाही पड़ सकती है भारी
जनपद में निराश्रित गोवंशों के संरक्षण के लिए संचालित अभियान को लेकर अभी भी लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के प्रति जिलाधिकारी का सख्त रुख जारी है। जिलाधिकारी ने विकास खंड बेलसर, छपिया, बभनजोत और पण्डरी कृपाल में खंड विकास अधिकारियों और पशु चिकित्सा अधिकारियों द्वारा संतोषजनक कार्य न करने पर नाराजगी जताई है। जिलाधिकारी ने सभी संबंधित विभागों को नियमित निरीक्षण और तेजी से कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। नगर पंचायत खरगूपुर, धानेपुर, परसपुर, तरबगंज और बेलसर में गोवंश संरक्षण कार्य की धीमी प्रगति को लेकर जिलाधिकारी ने अधिकारियों से जवाब तलब किया है। उन्होंने समयबद्ध रूप से बेघर गोवंशों के संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
*आम जनता से भी अपील, इन नंबरों पर करें कॉल*
निराश्रित गोवंश संरक्षण के इस अभियान को सफल बनाने के लिए आम जनता से भी सहयोग करने की अपील की गई है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी कार्यालयों के नंबर (9838178789 और 05262232367) जारी किए गए हैं। जनपदवासी इन नंबरों पर फोन करके निराश्रित गोवंशों के बारे में जानकारी प्रदान कर सकते हैं। जिलाधिकारी ने कहा कि गोंडा जिले को गोवंश संरक्षण में एक उदाहरण बनाने का लक्ष्य है। सभी विभागों को समन्वय बनाकर काम करने और गोवंश संरक्षण की प्रगति को समय-समय पर रिपोर्ट करने का आदेश दिया गया है। जिलाधिकारी ने आम जनता से अपील की है कि वे गोवंश संरक्षण के प्रति जागरूक रहें और सहयोग करें। उन्होंने कहा कि यह अभियान न केवल पशुओं की सुरक्षा के लिए है, बल्कि पर्यावरण और समाज के लिए भी आवश्यक है।