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जिला प्रशासन ने अनूठी पहल करके 159 बच्चों का भविष्य संवारने का उठाया बीड़ा

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गोण्डा। सुशासन सप्ताह के अंतर्गत जिले में प्रशासन ने एक अनूठी पहल करते हुए 159 बच्चों के भविष्य को संवारने का बीड़ा उठाया है। महिला कल्याण विभाग के तत्वावधान में 19 से 24 दिसंबर तक चले ‘प्रशासक गांव की ओर’ अभियान के तहत इन बच्चों को चिन्हित किया गया। यह कदम जिला प्रशासन की सुशासन के प्रति प्रतिबद्धता और समाज के सबसे वंचित वर्गों तक पहुंचने के प्रयासों का उत्कृष्ट उदाहरण है। जिला प्रोबेशन अधिकारी संतोष कुमार सोनी ने बताया कि जिलाधिकारी के निर्देश पर पांच दिवसीय अभियान संचालित किया गया, जिसमें समाज के विभिन्न कमजोर वर्गों से आने वाले बच्चों को चिन्हित किया गया। इनमें भिक्षावृत्ति के 66 बच्चे, बाल श्रम से मुक्त कराए गए 40 बच्चे, निराश्रित महिलाओं के 27 बच्चे, दिव्यांग श्रेणी के 4 बच्चे, और आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे परिवारों के 22 बच्चे शामिल हैं।

*समाज के अंतिम छोर तक पहुंचने की कोशिश*
जिला प्रशासन ने इन बच्चों के लिए महिला कल्याण विभाग की स्पॉन्सरशिप योजना के तहत सहायता प्रदान करने की तैयारी की है। इस योजना के तहत बच्चों के भरण-पोषण, शिक्षा, आर्थिक मदद और पुनर्वास के लिए प्रत्येक बच्चे को हर महीने 4,000 रुपये की सहायता राशि सीधे उनके बैंक खाते में भेजी जाएगी। यह पहल बच्चों को न केवल वर्तमान कठिन परिस्थितियों से उबारने का प्रयास है, बल्कि उन्हें एक सुरक्षित और उज्ज्वल भविष्य देने की दिशा में एक सशक्त कदम भी है।

*सुशासन का प्रभाव: बच्चों के जीवन में बदलाव*
इस अभियान का उद्देश्य केवल आंकड़ों को सुधारना नहीं, बल्कि समाज के वंचित वर्गों को मुख्यधारा में लाना है। बाल श्रम, भिक्षावृत्ति, और पारिवारिक दिक्कतों का सामना कर रहे बच्चों के जीवन में स्थायित्व लाने के लिए जिला प्रशासन का यह प्रयास प्रेरणादायक है। जिला प्रशासन का यह कदम न केवल सरकारी योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू करने का उदाहरण प्रस्तुत करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि सही नीतियां और इच्छाशक्ति कैसे समाज में वास्तविक बदलाव ला सकती हैं। ‘प्रशासक गांव की ओर’ अभियान ने यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी बच्चा शिक्षा, सुरक्षा और पुनर्वास के अपने अधिकारों से वंचित न रहे।

*अधिकारी और समाज की साझेदारी*
जिलाधिकारी के नेतृत्व में चलाया गया यह अभियान इस बात का सबूत है कि जब प्रशासन और समाज मिलकर काम करते हैं, तो असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। अभियान में जुटे अधिकारियों, कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवकों की मेहनत ने यह सुनिश्चित किया कि गोण्डा के हर जरूरतमंद बच्चे तक मदद पहुंचे।

*सुशासन: एक उज्ज्वल भविष्य की कुंजी*
‘सुशासन सप्ताह’ ने गोण्डा में एक नई सोच और नई ऊर्जा का संचार किया है। प्रशासन का यह प्रयास न केवल बच्चों के जीवन को बदलने का एक अवसर प्रदान करता है, बल्कि सुशासन की भावना को मजबूत करता है। यह पहल अन्य जिलों और राज्यों के लिए एक मिसाल साबित हो सकती है।

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