Home Complaint चयन में मनमानी मजिस्ट्रेट से जांच कराने की मांग

चयन में मनमानी मजिस्ट्रेट से जांच कराने की मांग

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गोंडा। मनरेगा व ग्राम्य विकास विभाग द्वारा संचालित योजनाओं की स्थलीय जांच और उपयोगिता तथा मानक की जांच के लिए गांवों में आयोजित होने वाली सोशल आडिट पहले ही सवालों के घेरे में थी। लेकिन अब इसी सोशल ऑडिट के जिला समन्वयक (कोऑर्डिनेटर) के रिक्त एक पद पर होने जा रहे चयन पर भी सवालिया निशान लग गया हैं। सोशल ऑडिट निदेशालय के निर्देश पर शुरू हुई चयन प्रक्रिया मनमानी और कूट रचना की भेंट चढ़ गई है। जिम्मेदार अपने करीबियों और अधीनस्थों को ही इस पद बैठा देना चाहते हैं। इसकी शिकायत इंकलाब मिशन के संयोजक व अधिवक्ता एसपी शुक्ल ने मंडलायुक्त से की है और पूरी प्रक्रिया की मजिस्ट्रेट स्तरीय जांच की मांग करते हुए दोषी अधिकारियों को दंडित करने की मांग की है।

उन्होंने बताया कि सोशल ऑडिट निदेशालय के निर्देश पर जिलाधिकारी गोंडा के कार्यालय ने एक अधूरी और अस्पष्ट विज्ञप्ति का प्रकाशन राष्ट्रीय समाचार पत्रों में चार दिसंबर 2024 को करवाया था। प्रकाशित किए गए इस विज्ञापन में न तो आवेदन का प्रारूप बताया गया और न ही आवेदन के साथ भेजे जाने वाले अभिलेखों की ही जानकारी दी गई थी। जबकि योग्य अभ्यर्थियों से 28 दिसंबर 2024 की शाम पांच बजे तक आवेदन जिला विकास अधिकारी कार्यालय विकास भवन में मांगे लिए गए थे। जिले के योग्य अभ्यर्थियों ने जब आवेदन के प्रारूप और अभिलेखों के बाबत जिला विकास अधिकारी कार्यालय से जानकारी मांगी तो वहां भी कुछ नहीं बताया गया।

जैसे तैसे जनपद के 20 अभ्यर्थियों ने 28 दिसंबर 2024 की शाम पांच बजे तक पंजीकृत डाक से अपने आवेदन भेज दिए। जिला विकास अधिकारी कार्यालय ने असल कारनामा तब शुरू किया जब आवेदन की अंतिम तिथि बीत गई। जिला विकास अधिकारी कार्यालय ने प्राप्त 20 आवेदनों में से 15 को अपूर्ण होने अथवा कोई न कोई कारण बता कर निरस्त कर दिएऔर पांच पात्रों अभ्यर्थियों की सूची बीते 19 फरवरी को विकास भवन गोंडा के सूचना पट्ट पर प्रकाशित कर दी। शेष पांच आवेदन जिन्हें तीन मार्च 2025 को साक्षात्कार के लिए आमंत्रित किया गया है वह पांचों अभ्यर्थी, जिला विकास अधिकारी कार्यालय के अधीनस्थ ही हैं।

श्री शुक्ल ने आरोप लगाया कि जिला विकास अधिकारी कार्यालय ने अस्पष्ट विज्ञप्ति प्रकाशित कर कूट रचना की है और योग्य युवाओं से आवेदन मांग कर जिले की 42 लाख आबादी, 20 लाख युवाओं व करीब चार हजार जनप्रतिनिधियों के साथ धोखाधड़ी करने जैसा कार्य किया है। जिसके लिए साक्षात्कार को तत्काल रोका जाए और चयन प्रक्रिया की मजिस्ट्रेट स्तरीय जांच करवाई जाए।

सोशल ऑडिट टीम और अपने अधीनस्थों को अनुचित लाभ दिलाने के मामले में जिला विकास अधिकारी कार्यालय की मनमानी की नई नहीं है। अधिवक्ता एसपी शुक्ल ने बताया कि बीते जुलाई माह में विकास खंड बभनजोत में सोशल ऑडिट टीम ग्राम प्रधानों से अवैध वसूली कर रही थी। जिसकी शिकायत हुई थी। जिसमें खंड विकास अधिकारी के निर्देश पर गठित तीन सदस्यीय टीम ने जांच की और आरोप के संदर्भ में नौ ग्राम प्रधानों तथा 11 रोजगार सेवकों के बयान के साथ 26 पृष्ठों की पुष्टिकृत रिपोर्ट कार्यवाही के लिए दी थी। जिसे कार्यक्रम अधिकारी/खंड विकास अधिकारी बभनजोत ने जिला विकास अधिकारी को कार्यवाही के लिए बीते वर्ष 22 अगस्त 2024 को भेज दिया था। लेकिन अवैध वसूली के आरोपों की पुष्टिकृत आख्या रिपोर्ट के बाद छह माह बाद भी जिला विकास अधिकारी कार्यालय ने किसी दोषी मिले व्यक्ति के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की।

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