नई दिल्ली। राजस्थान प्रदेश कोचिंग के लिए देश भर में मशहूर कोटा शहर में एक और लड़की ने सुसाइड किया। मृतका 18 साल की निहारिका झालावाड़ जिले की निवासी थी और अपने परिजनों के साथ बोरखेड़ा इलाके में रहती थी। आईआईटी जेईई एग्जाम होना था और इसी के चलते छात्रा पढ़ाई को लेकर तनाव में थी।निहारिका की 31 जनवरी को परीक्षा थी लेकिन उससे दो दिन पहले छात्रा ने घर पर फांसी का फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली। इन दिनों कोटा शहर प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने वाले छात्रों की आत्महत्याओं को लेकर पूरे देश में सुर्खियों में आ गया है।
यह जांच का विषय है कि आए दिन यहां आत्महत्या करने वाले देश के होनहार युवक युवतियां अभिभावकों की अति महत्वाकांक्षा के दबाव में अपने जीवन की बलि दे रहे हैं या इसके पीछे कोई और कारण भी जिम्मेदार है। जो लोग सुसाइड नोट छोड़कर आत्महत्या कर रहे उनका तो मामला आईने की तरह साफ़ दिखता है लेकिन ज्यादातर छात्र छात्राएं बिना किसी सुसाइड नोट के भी आत्महत्या कर लेते है। सभी मामलों को एक नजरिए से देखा जाना कभी कभी बहुत बडी गलती साबित होता है। जानकारों के मुताबिक़ ऐसे सभी मामलों की गहनता से जांच कराई जाय तो इसके कुछ और कारण भी प्रकाश में आ सकते है। सामान्यतया तो पुलिस ऐसे मामलों को पढाई व परीक्षा का दबाव मानकर आत्महत्या करना मानकर निपटा देती रही है। ऐसे में इसके लिए जिम्मेदार वहां के अन्य कारण दब जाते है और कभी प्रकाश में नहीं आ सकते है।