करनैलगंज गोण्डा। बैंक से धोखाधड़ी के मामले का पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल ने संज्ञान लेते हुए करनैलगंज कोतवाली पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया। इस पर पुलिस ने क्षेत्र के 23 व्यक्तियों के विरुद्ध धोखाधड़ी समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है। मामला करनैलगंज के भारतीय स्टेट बैंक की शाखा का है। यहां के शाखा प्रबंधक द्वारा मुकदमा दर्ज कराने के बाद हड़कंप मच गया है।
1. राजदेव पुत्र शिवदीन नि गौरा सिंहनापुर 2. प्रवेश पुत्र अलखराम भदैया 3. योगेश प्रताप सिंह पुत्र श्रीनाथ सिंह प्रतापपुर 4. सूर्य कुमार व राजेश कुमार सिंह नारायनपुर कला 5. उदयराज पुत्र भगवती हरिगाव 6. माधवराज सिंह पुत्र गोली सिंह उर्फ भोला प्रसाद सिंह धर्मपुर 7. मुन्ना लाल पुत्र राम दयाल चंगेरिया 8. जमुना पुत्र इन्ट्वली माधवपुर 9. श्रीमती सुमित्रा देवी पत्नी शेपनरायन धमसडा 10. बाबादीन पुत्र आदित्य सिसई जोगा 11. ध्रुवराज पुत्र राधेकिशन बसेरिया 12. अमरेश पुत्र ज्वाला प्रसाद अलीपुर गोकुला 13. इन्द्रसेन पुत्र मंगली प्रसाद माधवपुर14. हौसला प्रसाद पुत्र विन्देश्वरी ऊर्दी गोडा15. अकबाल खाँ पुत्र वारिस बसेरिया 16.शिव बहादुर सिंह पुत्र इन्दवहादुर सिंह मुड़ेरवा 17. प्रदीप कुमार पुत्र राजाराम,18. दिनेश सिंह पुत्र शिव नरेश सरला सिंह पत्नी सुरेंद्र सिंह लालेमऊ 19. राम प्रिय पुत्र रामरथ सिंह उड़िला 21. पटमेश्वरी प्रसाद पुत्र राम खेलावन तिलका 22. राजेश पुत्र कल्पनाथ 23. मुन्ना सिंह पुत्र भृगुकेतु नारायनपुर माझा पर मामला दर्ज किया गया है।
अब मामला बैंक से पुलिस के पाले में पहुंचने के बाद बैंक से धोखाधड़ी करने वालों में खलबली मच गई है। नगर के कई ऐसे बैंक हैं जहां पर धोखाधड़ी करने वालों की एक बड़ी संख्या बताई जा रही है । ऐसे में प्रश्न यह उठता है की 23 कर्जदारों पर तो मामला दर्ज कर कार्रवाई हो रही है, पर इन्हें दोबारा लोन देने और बेचने का अधिकार किस तरह से मिल गया। यह सवाल भी आमजन मानस के दिमाग में कौंध रहा है। एसबीआई शाखा प्रबंधक द्वारा दर्ज कराए गए मामले में दो श्रेणी का अपराध एवं धोखाधड़ी का मामला सामने आ रहा है। इसमें कुछ लोगों में बैंक से कर्ज लेने के बाद दूसरे बैंक से भी कर्ज ले लिया और कुछ ने अपनी जमीनों को बेंच दिया । अब यहां सवाल यह उठता है कि एक बैंक से लोन लेने के बाद खतौनी बंधक हो गई तो उसे बंधक मुक्त किस प्रकार से कर दिया गया कि दूसरे बैंक ने उन्हें लोन दे दिया। इसमें तहसील के जिम्मेदार कर्मियों की भूमिका भी संदिग्ध प्रतीत होती है, उनकी भी बारीकी से जांच होनी चाहिए। साथ ही साथ दूसरे बैंक से लोन देने वाले बैंक भी अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते, ऐसे कर्मचारियों की भूमिका से नकारा नहीं जा सकता। इस धोखाधड़ी के खेल में शामिल बैंक के इर्द-गिर्द गणेश परिक्रमा करने वाले महारथियों को भी चिन्हित कर उनके खिलाफ करवाई होनी चाहिए।
एसबीआई शाखा प्रबंधक द्वारा कर्ज अदायगी ना करने पर 23 लोगों पर दर्ज एफआईआर उन लोगों के लिए बड़ी चेतावनी है जिन्होंने बैंक से कर्ज लिया है और अदा नहीं किया है। वह भी कार्रवाई की जद में है और उन पर भी कार्रवाई की तलवार लटक रही है। आए दिन बैंकों में संदिग्ध व्यक्तियों की पुलिस द्वारा चेकिंग की जाती है पर बैंकों में प्रतिदिन मौजूद अनाधिकृत व्यक्तियों से पूछताछ नहीं की जाती कि आखिर किस कारण से वह प्रतिदिन बैंक आ धमकते हैं और देर शाम तक बन रहते हैं। पुलिस की चेकिंग बैंक के ग्राहकों के प्रति ज्यादा दिखती है पर ऐसे व्यक्तियों से भी अगर पूछताछ की जाए तो बैंक के सीधे साधे ग्राहकों को धोखाधड़ी से निजात मिल सके और सुरक्षा भी मिल सके।
इस मामले में प्रभारी निरीक्षक श्रीधर पाठक का कहना है कि बैंक प्रबंधक द्वारा फ्राड का मुकदमा दर्ज कराया गया है। इसकी जांच की जा रही है। एसबीआई शाखा प्रबंधक ने बताया कि 23 लोगों ने बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड के रूप में लोन लिया था,जिसमे बगैर कर्ज अदा किए कुछ लोगों ने बंधक जमीन बेंच दिया और कुछ लोगों ने दूसरे बैंक से लोन ले लिया। इन सभी लोगो पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया गया है।