वाराणसी। ASI ने 839 पन्ने की रिपोर्ट तैयार की है, जो बताती है कि मस्जिद से पहले वहां हिंदू मंदिर था। सर्वे में 32 ऐसे जगह प्रमाण मिले हैं, जो बताते हैं कि वहां पहले हिंदू मंदिर था।
ASI ने जदुनाथ सरकार के इस निष्कर्ष पर भरोसा जताया है कि 2 सितंबर 1669 को मंदिर ढहा दिया गया था। देवनागरी, ग्रंथा, तेलुगु, कन्नड़ में लिखे पुरालेख मिले हैं। जनार्दन, रुद्र और विश्वेश्वर के बारे में पुरालेख मिले हैं। एक जगह महामुक्ति मंडप लिखा है, जो ASI के मुताबिक बहुत ही महत्वपूर्ण बात है। मंदिर ढहाए जाने के बाद उसके स्तंभों का इस्तेमाल मस्जिद बनाने में किया गया। तहखाना S2 में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां थीं।
ज्ञानवापी की पश्चिमी दीवार एक हिंदू मंदिर का हिस्सा थी, उसे आसानी से पहचाना जा सकता है। तहखाने में मिट्टी के अंदर दबी ऐसी आकृतियां मिलीं जो उकेरी हुई थीं। एक कमरे में अरबी और फारसी में लिखे पुरालेखों में मिले हैं जो बताते हैं कि मस्जिद औरंगजेब के शासनकाल के 20वें वर्ष यानी 1667-1677 में बनी।सर्वे में जो पुरालेख मिले हैं, उनमें तीन नामों का जिक्र प्रमुखता से है- जनार्दन, रूद्र, उमेश्वर।