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टिकरी जंगल में शुरु होगी ओपन सफारी आरंगा पक्षी विहार बनेगा पर्यटन स्थल

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गोंडा। जनपद के टिकरी जंगल और अरगा पक्षी विहार को अब इको-टूरिज्म हब के रूप में विकसित किया जाएगा। गोण्डा की प्राकृतिक धरोहरों को संरक्षित करने और अयोध्या आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करने के उद्देश्य से यह पहल की गई है।
टिकरी जंगल, जो करीब 7,500 हेक्टेयर में फैला है, में जल्द ही ओपन सफारी की शुरुआत होगी, जिससे पर्यटक जंगल के वन्यजीवों और वनस्पतियों का निकट से अनुभव कर सकेंगे। अयोध्या धाम के निकट होने के कारण, यह परियोजना धार्मिक यात्रियों के लिए एक अतिरिक्त आकर्षण बनेगी, जहां वे अपनी आध्यात्मिक यात्रा के साथ प्रकृति का भी आनंद ले सकेंगे।

इसके अलावा, वजीरगंज स्थित पार्वती अरगा पक्षी विहार को भी इको-टूरिज्म के रूप में विकसित किया जाएगा। 1,084.47 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला यह पक्षी विहार सर्दियों के मौसम में हजारों प्रवासी पक्षियों का स्वागत करता है, जो इसे एक अद्वितीय पर्यटक आकर्षण बनाता है। पर्यटक प्रवासी पक्षियों के कलरव का आनंद ले सकेंगे, जिससे इस क्षेत्र का प्राकृतिक सौंदर्य और भी निखरेगा।

माननीय केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह उर्फ राजा भैया की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई एक बैठक में इस पर मंथन किया गया। इस बैठक में पार्वती अरगा आर्द्रभूमि के संरक्षण, विवेकपूर्ण उपयोग, और अरगा झील को सरयू नहर से जोड़ने के प्रस्ताव पर भी विचार किया गया। बैठक में भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय के प्रतिनिधि, भारतीय प्राणि सर्वेक्षण संस्थान, भारतीय वन अनुसंधान संस्थान, राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, विश्व प्रकृति निधि (WWF), और अन्य सरकारी व गैर-सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण के सदस्य सचिव नीरज कुमार और जिलाधिकारी गोंडा, नेहा शर्मा समेत अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे। इस दौरान माननीय राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने अरगा परिसर में मौलश्री का पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। उन्होंने अरगा झील को सरयू कैनाल से जोड़ने के प्रस्तावित बिंदुओं का भी निरीक्षण किया और संबंधित अधिकारियों को समयबद्ध ढंग से इस कार्य को पूरा करने के निर्देश दिए।

*सरयू कैनाल से जुड़ेगी अरगा झील*
अरगा झील में पानी का स्तर पूरे वर्ष बनाए रखने के लिए इसे सरयू कैनाल से जोड़ने का प्रस्ताव भी है। इससे न केवल झील का जलस्तर स्थिर रहेगा, बल्कि जल निकासी और कृषि संबंधी समस्याओं का समाधान भी होगा। यह पहल झील के इकोसिस्टम को पुनर्जीवित करने के साथ-साथ स्थानीय कृषि को भी सहारा देगी। माननीय राज्य मंत्री ने निर्देश दिए हैं कि झील को कैनाल से जोड़ने की प्रक्रिया तेजी से पूरी की जाए ताकि वेटलैंड का जलस्तर पुनर्स्थापित किया जा सके।

*झील के आसपास सिर्फ जैविक खेती*
वजीरगंज स्थित पार्वती अरगा पक्षी विहार सर्दियों के मौसम में हजारों प्रवासी पक्षियों का निवास स्थान बनता है। अरगा झील के चारों ओर की कृषि भूमि में किसानों द्वारा कीटनाशकों और रसायनों का उपयोग झील के पानी की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहा है। मंत्री ने निर्देश दिए कि किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाए और जागरूकता फैलाई जाए। साथ ही, झील के पानी की गुणवत्ता की नियमित जांच की जाएगी और मृदा स्वास्थ्य परीक्षण कर डाटा संधारण किया जाएगा। पार्वती अरगा वेटलैंड के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए एक समेकित एक्शन प्लान तैयार किया जाएगा, जिसमें विभिन्न विशेषज्ञ संस्थाएं शामिल होंगी। वेटलैंड में पाए जाने वाले सभी वन्य प्राणियों, पक्षियों और कीटों की प्रजातीय विविधता का अध्ययन भी किया जाएगा।

*वेटलैंड मित्र रखेंगे नजर*
वेटलैंड्स में खरपतवार उन्मूलन के लिए कार्बनिक पद्धतियों का उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा, वेटलैंड मित्र नामक एक स्थानीय संगठन का गठन किया जाएगा, जिसमें स्थानीय लोगों को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में शामिल किया जाएगा। उन्हें इस कार्य के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। पर्यावरण संरक्षण और जल संरक्षण के महत्व को बढ़ावा देने के लिए नियमित जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों में गोष्ठी, नुक्कड़ नाटक, और स्कूली बच्चों के लिए चित्रकला प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा।

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